Saturday, July 16, 2011

प्यार का भूत

हमारे एक मित्र को प्यार का भूत सवार हो गया,
वे हमारे पास आये और बोले,
मित्र हमे प्यार हो गया है ,लव हो गया है,
saint valentine ही हमारा रब्ब हो गया है.
तो हमने पूछ लिया ,
भाई यह saint valentine तुम्हरे हनी वाले ससुर का नाम है क्या,
जिसकी शान मैं इतने गीत गा रहे हो,
खुद को प्यार की भट्टी मैं झुलसा रहे हो.
अरे भाई अँगरेज़ की लड़की से शादी करके पछताओगे ,
धोबी के कुत्ते बन जोगी,
न घर के रहोगे न घाट के,
यूँ ही व्यर्थ मैं जान गँवाओगे.
मेरी बातें सुन कर मित्र की भोहें चढ़ गयी,
वे बोले , कर दी ना आपने हिंदी कविओं वाली बात,
आप तो बस हिंदी का पल्लू पदके रहिये,
खद्दर का कुरता पहेनिये ,
और कंधे पर झोला लटकाइए,
इश्क विश्क पाके बस की बात नहीं,
अपनी कवितायेँ उठाइए और संपादकों के चक्कर लगाइए.
इस पर हमने सोचा की यह तो इज्ज़त का प्रशन है,
हमने मित्र से कहा की आप हमे अपनी समस्या बताएं ,
हम उसका समाधान करेंगे ,
जितना हो पायेगा आपका कल्याण करेंगे.
यूँ तो हमने कभी इश्क किया नहीं,
पर हिंदी फिल्में बहुत देखी हैं,
उसी मैं से कुछ फोर्मुले आपको बता देंगे ,
जैसे भी हो आपका मामला फिट करा देंगे.
मित्र बोले मैं उसके प्यार मैं कुछ कर जाऊंगा ,
अगर कुछ न हो पाया तो आपकी चौखट पर सर पटक पटक कर मर जाऊंगा.

उनकी आत्मघाती धमकी सुनकर मैं तो डर ही गया.
मैंने उनसे पुछा की क्या वो भी आपसे लव करती है,
तो वे बोले वो तो मुझ पर पहले ही सेंटी है,
हमे तिरछी-तिरछी नजरों से देखती है,
मुझे तो लगता है मेरी हर अदा पे मरती है.
तो बेटा हम तुम्हे एक रामबाण नुस्खा देते हैं,
तुम्हारे प्यार की गाडी को पटरी पे चढ़ा देते हैं.
तुम एक प्रेम पत्र लिखो,
उसमे लिखो अपने दिल का हाल,
साथ मैं रख दो गुलाब लाल.
अगर पत्र पढते ही वह झूम उठेगी ,
समझो लड़की तुम से पटेगी.
लड़की से मिलते ही मित्र को भूल मत जाना,
विजयी हो कर आओ तो मेरी गुरुदक्षिणा जरुर लाना.
मित्र से ऐसा आश्वासन ले कर हमने उन्हें विदा किया,
ऐसा फील हुआ जैसे गुरु मंत्र किसी को दान दिया.

और हम उत्सुकता से अगले दिन की प्रतीक्षा करने लगे.

अगले दिन मित्र ए,
साथ मैं घुटने तक लटका थोबड़ा लाये.
हमने पुछा की मित्र 

फिल्मी हीरो

फिल्मी हीरो बडे कमाल ,
क्या सुनाऊ इनका हाल ,
कोई बन्दर की तरह उछल कूद मचाता,
कोई बोलते हुए हकलाता.
कोई बिना कमीज़ के फिल्म मैं आता ,
कोई अपनी 6 उंगलियाँ दिखता.
कुछ ने खड़े कर लिए बाल,
क्या सुनाऊ इनका हाल.

हेरोइन संग ये इश्क लड़ते,
100-100 गुंडों से भिड जाते.
इनके नाम से बदमाश डरें,
Villan इनके आगे पानी भरें.
भारत माँ के सच्चे लाल,
क्या सुनाऊ इनका हाल.

इन लोगो के नखरे ऊँचे,
producers का यह खून चूसें.
कभी यह dates के लिए तरसाते,
कभी फिल्म छोड़ कर अंगूठा दिखाते.
Underworld तक फैला इनका जाल,
क्या सुनाऊं इनका हाल.

कभी सोचा की यह हमारी नौजवान पीढ़ी को क्या दे रहे हैं?

यह बाँट रहे हैं हिंसा , मारधाड़ और अश्लीलता ,
जो इन जैसा नहीं दिखता उसमे आ रही है हीनता.
यूवकों को मौज मस्ती सीखते ,
पढने लिखने का मोह छुडाते ,
सिखा रहे ये पशिमी चाल ,
क्या सुनाऊं इनका हाल,
फिल्मी हीरो बडे कमाल.

Monday, July 11, 2011

Backbenchers

हम हैं Backbenchers,
हमारी अपनी शान है,
हमारी capabilities से तो दुनिया हैरान है,
कक्षा में हम देर से आते,
हम से तो शिक्षक भी परेशान हैं,
कभी हम कागज के जहाज उड़ाते,
कभी teachers पे सीटीआन बजाते,
कैंटीन हमारा मंदिर है,
और ciggeratte का खोखा हमारा जहान है.
हम हैं Backbenchers,
हमारी अपनी शान है,

शहर में कोई फिल्म लगे,
हम सबसे पहले उसे देखने जाते हैं,
वापिस आकर हम फिर पिछली बेंच पर बैठते हैं,
और उस फिल्म पर टिप्पणिया उठाते हैं.
कभी कभी मुझे अपने intelligent मित्रगनो की 
बेवकूफी पर हंसी आती है,
जो पूरी फीस भर कर Lower stall में बैठते हैं,
और हम उतनी ही फीस में Balcony का आनंद उठाते हैं.
हम हैं Backbenchers,
हमारी अपनी शान है,
 

कलयुग

जब सूर्य आग उगलेगा ,
और चारों और अकाल छाएगा,
जब आये साल नदियों मैं उफान आयेगा,
और बाढ़ का पानी बेकसूर जनता को बहायेगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत आ जायेगा.

जब खेतों मैं अन्न की जगह बन्दूक उगेंगी,
और आतंकवाद अपनी जडें फैलाएगा,
चहुँ और हिंसा होगी,
और मौत का देवता तांडव रचाएगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत आ जायेगा.

जब भाई भाई को मरेगा,
और बेटा बाप के खून का प्यासा हो जायेगा,
हर कोमल रिश्ते को कलंक लग जायेगा,
और शैतान अपना सर उठाएगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

जब सच का देवता अपना मुह छुपायेगा,
और झूठ का बोलबाला हो जायेगा,
जब मशीनएं लड़ाईअन लड़ेंगी,
और इंसान मुफ्त में जान गँवाएगा , 
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

जब माँ बच्चे को दुत्कारेगी ,
और उसका ममत्व मर जायेगा ,
बाप ताड़ी पी कर सोयेगा,
और बच्चा कमा कर लायेगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

हर चीज़ बिकाऊ हो जाएगी,
और शिक्षा भी व्यापार बन जायेगा,
बाप बेटे को डिग्री खरीद कर देगा,
और बेटा गुरुओं को आँख दिखायेगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

चारों और अशांति होगी,
और एक देश दुसरे से टकराएगा,
शांति की कोशिश तो बहुत होगी,
पर विश्व युद्ध टल न पायेगा,
तब घोर कलयुग छाएगा,
इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

इस दुनिया का अंत अ जायेगा.

Sunday, July 10, 2011

फिर भी लिख रहा हूँ

सड़क किनारे बैठा देख रहा हूँ,
देख रहा हूँ भागती दौड़ती जिन्दगी,
आँखों मैं अरमान सजाये जिन्दगी,
मुझे पता है यह मेरे हाथ नहीं आयेगी,
चारो और अंधकार है, कुछ दिख नहीं रहा,
कुछ सूझ नहीं रहा, फिर भी लिख रहा हूँ.

दूर फटे चीथड़ों मैं, मिटटी से सना ,
भूख से बिलबिलाता ,इस सभ्य समाज की पोल खोलता ,
बचपन देख रहा हूँ,और सोच रहा हूँ,
क्या यही देश का भविष्य है,
पर मुझे उत्तर नहीं मिलता,
चारो और अंधकार है, कुछ दिख नहीं रहा,
कुछ सूझ नहीं रहा, फिर भी लिख रहा हूँ.

सुन रहा हूँ वाहनों की गडगडाहट,
लोगों का शोर,
देख रहा हूँ धुंए के उठते गुब्बार,
महसूस कर रहा हूँ लोगों का समय से लड़ना,
और सोच रहा हूँ की क्या यही तरक्की है?
यह सोच मैं फिर से निरुत्तर हो जाता हूँ,
चारो और अंधकार है, कुछ दिख नहीं रहा,
कुछ सूझ नहीं रहा, फिर भी लिख रहा हूँ.

गणित

गणित , उफ़ यह गणित,

यह कैसा है विषय.
मास्टरों ने कितने वर्ष हमे गणित सिखाया,
अपना कितना सर खपाया,
फिर भी हमे यह गणित समझ में ना आया.

एक बार हमारा परीक्षा परिणाम आया ,
हमने खुद को गणित में फेल पाया,
इसे देख कर हमारा सर चकराया,
अरे हमने तो प्रशन पत्र ठीक किया था,
पता नहीं मास्टरजी के दिमाग में क्या आया,
जो उन्होंने इतना बड़ा शुन्य हमारी उत्तर पुस्तिका पे बनाया.

अब आप ही हमारी उत्तर पुस्तिका पर नजर डालिए और बताइए की मैंने जो लिखा क्या वो गलत था?

पहला प्रश्न: एक दुकानदार १ रुपये और २० पैसे प्रति गज के हिसाब से कपडा बेचता है,
और उसका एक गज है एक इंच छोटा,
तो बताइए की उसे कितना हुआ मुनाफा?
जरा देखिये, यह हिसाब भी में ही लगाऊंगा,
में तो ऐसा पता चलते ही पुलिस को बताऊंगा.
वह ही उससे उगाल्वाएगी,
कितना लाभ हुआ कितनी हानि, यह वही हिसाब लगाएगी .

दूसरा प्रश्न: ४२०/२० को संक्षेप करें.
संक्षेप अर्थात काटम काट ,
आपने कैसे सोचा में किसी को काट दूंगा,
अहिंसा का परम भक्त हूँ,
किसी को काटने की बजाये पड़ी लिखी ही त्याग दूंगा.

तीसरा प्रश्न: २ gallon शराब में कितना पानी मिलाएं की वो ३.५ gallon हो जाये?
छी छी एक तो शराब और उसमे भी मिलावट,
मैं तो इसे हाथ भी नि लगाऊंगा ,
इस प्रशन का उत्तर देना तो दूर,
ऐसे प्रश्न डालने के लिए University पर मुकदमा दायर करवाऊंगा.

चोथा प्रशन: एक तेल लगे बांस पर एक बन्दर प्रति मिनट १० फूट चढ़ता है,
दुसरे मैं ५ फूट गिरता है,
बताओ वह ५० फूट ऊँचे बांस पर कितने मिनट मैं चढ़ेगा?
वह तेल लगे बांस पर चढ़ा कर बन्दर की जान लेंगे,
नहीं तो आप खुद ही चढ़ कर देख लो,
अगर आप चढ़ गए तो हम आपको अपना गुरु मान लेंगे.

पांचवा प्रशन : एक मुर्गी मीनार पर इस तरह बैठी है की उसका मुह पूर्व की तरफ है,
और पूँछ पश्चिम की तरफ, बताइए की वो अंडा किस तरफ देगी?
अब जरा देखिये, मुर्गी क्या पागल है,
जो मीनार पे अंडा देगी,
अगर उसे और कोई और नहीं मिलता तो ,
आप पूछ कर देखिये, आपके घर वो जरुर आश्रय ले लेगी.

मैंने इस प्रकार से प्रशन पत्र हल किया ,
और ५ मिनट मैं परीक्षा कक्ष से चल दिया.
मैंने तो ईमानदारी से प्रश्नों का उत्तर दिया,
पर मास्टर जी को मेरे उत्तरों का तात्पर्य 
समझ मैं नहीं आया , जो उन्होंने मुझे इतना बड़ा शुन्य  दिया.

नेता

नेता, अपनी पार्टी का एक अदना सा कर्मठ नेता हूँ में ,
कृपया मुझे वोट दे कर मंत्री बना दीजिये,
अगर आपकी नहीं चमकती,
तो मेरी ही किस्मत चमका दीजिये.
में जनता को आश्वासन देता हूँ,
की राज्य से गरीबी हटा दूंगा,
अगर गरीबी ना हटा पाया,
तो कम से कम अपना बैंक बैलेंस तो बना ही लूँगा.
में राज्य में शिक्षा का स्तर सुधर दूंगा,
हफ्ते में तीन दिन स्कूल लगेगा,
और इंजीनियरिंग की डिग्रीअन में मुफ्त बंटवा दूंगा.
कुछ नेता तो सिर्फ चारा ही हज़म करते हैं,
में पुल, बांध और सडकें भी हज़म कर जाऊंगा,
अपने चाचा, मामा , ताऊ को ,
में सरकारी कोन्त्रक्ट दिलवाऊंगा,
यमराज का अगर बुलावा आ भी गया तो क्या,
इस गद्दी पे अपने नौनिहाल छोड़ जाऊंगा.

अगर हम मंत्री बने तो कानून व्यस्था सुधारेंगे,
बडे बडे गुंडे भी बेझिजक हमारे घर पधारेंगे.
गुंडों को हम आश्रय देंगे,
उनके हम बन जायेंगे गुरु.
पुलिस हमारी जेब में होगी,
और घर में करेंगे हम अदालत शुरू.

भाई को भाई से भिडवा दूंगा,
हिन्दू को सिख और मुसलमान को इसाई से लडवा दूंगा,
मजहब की दीवार बनवा दूंगा,
कहीं सूअर, कहीं गाये कटवा दूंगा.
गिरगिट की तरह रंग बदलूँगा में ,
पैसा मेरा ईमान है , सबको बता दूंगा,
नेता हु में खालिस नेता,
इक दिन यह सब करके दिखा दूंगा.

Random ones

मर मर के तो कोई भी जी लेता है,
असली जीना तो उसका जीना है,
जो जख्म भुला दे,
और गम पे लेता है.

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माना चीज़ ख़राब पीता हूँ,
माना बेहिसाब पीता हूँ ,
लोग तो लोगों का खून पीते हैं,
में तो सिर्फ शराब पीता हूँ .

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मास्टर जी बच्चों को पढ़ते हुए कहते हैं :

एक हमारे नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे थे ,
जो कहते थे तुम मुझे खून दो में तुम्हे आज़ादी दूंगा,
और एक आज के नेता हैं ,
जो कहते हैं की तुम मुझे वोट दो , में तुम्हे बर्बादी दूंगा.
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शर्म का क्या है , शर्म तो आती जाती है,
हम तो हैं पक्के बेशरम, हम से तो शर्म भी शर्माती है.

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एक बार हम नेता बनने का interview देने गए,
वहां हमसे प्रश्न किया गया,
की क्या आपने कभी एक अंधे भिकारी के कटोरे में १० पैसे दाल कर २० पैसे निकाले हैं,
हमने उत्तर दिया नहीं, तो वे बोले
आप कभी नेता नहीं बन पाएंगे ,
एक अंधे भिकारी को तो बेवकूफ बना नहीं पाए,
१२० करोड़ २ आंख वालों को क्या ख़ाक बेवकूफ बनओगे.

आशिक scientist

एक कवि scientist  जब किसी के इश्क में डूब जाये 
तो वो अपने महबूब को इस तरह का प्रेम पत्र लिखता है:

प्रिये, तुम मेरे Blackhole नुमा जीवन में L.E.D की तरह प्रकाश लेकर आई हो,
प्रियवर , East हो  West ,
तुम हो मेरी जिन्दगी की guest,
Chemistry, Physics, E.D. और  Maths,
तुम्हारी नशीली Optical Lens जैसी आंखें,
मुझे बिन पिए नशा करा देती हैं,
तुम्हारी synthetic fibre जैसी काली घनी जुल्फें,
मेरे दिमाग के circuit अन्दर तक हिला देती हैं.
और तुम्हारी खनकती , चहकती आवाज़ मुझे Dolby DTS का एहसास कराती हैं.

मुझे कसम है Einstien और  Newton की,
अगर तुम किसी और की हुई,
तो में उसकी bisection कर दूंगा,
खुद Differentiate होकर ,
तुम्हरे दिल की  Integration कर दूंगा.

रिश्वतखोर

एक रिश्वतखोर अधिकारी का पुत्र अपने पिता से इस तरह का वार्तालाप करता है:

पूज्य पिता जी हमे Bike दिला दीजिये ,
हम भी अपने मित्रों पर Impression जमायेंगे.
इस पर पिता पुत्र से कहते हैं ,
बेटा पैसा वृक्ष पर नहीं लगता,
इस पर बेटा बोला ,
पिताजी आप हमसे झूठ बतियाते हैं,
महीने के १००० कमाते हैं और २००० उड़ाते हैं,
बाकि के १००० तो आप भी टेबल के नीचे से ही लाते हैं.
पिता बोले 
बेटा तुम मुझे रिश्वतखोर कहना चाहते हो?
पुत्र बोला 
पिताजी यह मैं नहीं बोलता,यह दुनिया है बोलती,
की एक मामूली सरकारी बाबु के पास 
कहाँ से आ गयी
नौकर कार और कोठी.

हम इंजिनियर बनेगे जरुर

All clear के जोश मे गँवा देते वो अपने होश,
इसमें उनका नहीं है कोई दोष.

Experience का नहीं जानते वे महत्त्व ,
Hi-Fi पढ़ते पढ़ते वो भूल जाते हैं Engineering के मूल तत्व. 

हम Engineering का बारीकी से अध्यन कर रहे हैं,
पिछले तीन वर्षो से एक ही कक्षा मैं खप रहे हैं. 

हमे घूमने का शौक नहीं, ना ही हम सिनेमा देखते हैं,
ना ही है हमे किसी से प्यार.
हर बार पर्चे अच्छे देते हैं, फिर भी 10 में से 8 subject लेती है university मार.

अब तो हमे इतना experience हो गया है की शिक्षको को भी पढ़ा दें, 
दो और दो पांच समझा दें.

हमने शिक्षको को कहा है की बालकों को हम पढ़ा देंगे,
Salary आप ले लेना, कन्याओं पे impression हम जमा लेंगे.

अब नहीं होते पास तो इसमें हमारा क्या कसूर,
हमने बना लिया है लक्ष्य की पांच लगे या दस साल ,

हम इंजिनियर बनेगे जरुर....